एसबीएम-जी का प्राथमिक लक्ष्य, महिलाओं का सशक्तिकरण: विनी महाजन, सचिव, जल शक्ति मंत्रालय।



”जब तक महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं होगा, तब तक दुनिया के कल्याण की कोई संभावना नहीं है।” – स्वामी विवेकानंद


मीडिया बंधुओं से बात करते हुए जल शक्ति मंत्रालय की सचिव विनी महाजन ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले महिलाओं के विकास से जुड़ी बातो का जिक्र करते हुए कहा कि 2014 में भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण अभियान का प्राथमिक लक्ष्य देश को खुले में शौच से मुक्त करना और स्वच्छता एवं अपशिष्ट प्रबंधन जैसे मुद्दों के समाधान के जरिये स्वच्छता को बढ़ावा देना था, ताकि यह कार्यक्रम ग्रामीण समुदायों के स्वास्थ्य व आरोग्य को बेहतर बनाने के साथ उनके सामाजिक और आर्थिक विकास में भी योगदान दे सके।


इन लक्ष्यों की पृष्ठभूमि में यह अभियान उम्मीदों से अधिक सफल रहा है, इसने समुदायों के बीच उपयुक्त आचार-व्यवहार की एक भावना पैदा की है और निम्न योगदान दिया है:

क. व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए गतिविधियों में नवाचार;

ख. कुशल युवा पेशेवरों के एक कैडर का निर्माण- उन्हें परिवर्तन के मजबूत वाहक (एजेंट) के रूप में बदलना और एक जन-आंदोलन।


ग.मिशन ने प्रमुख रूप से महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया है-

उनकी सुरक्षा में सुधार करना, उनकी गरिमा को सम्मान देना, स्वच्छता के मुद्दों पर उन्हें शिक्षित करना, स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में उनके लिए आजीविका के अवसरों को बढ़ाना आदि।

घ. इसके साथ ही, मिशन ने उनके आत्मविश्वास और किसी भी स्थिति में सफल होने की उनकी क्षमता को बढ़ावा दिया है।


पूरे अभियान के दौरान निम्न बातों को प्रमुखता से महसूस किया गया-

अ. महिलाओं ने आगे आकर नेतृत्व किया

ब. व्यवहार में परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए सूचना का विस्तार

स. शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियों में भाग लिया

ड. रानी मिस्त्री के रूप में शौचालय निर्माण में योगदान दिया। इसके साथ ही अपने परिवारों के लिए शौचालय की मांग को साहस के साथ सामने रखा।

इ. घरेलू कचरे के संग्रह और पृथक्करण में सक्रिय रूप से शामिल हुईं और जहां कहीं भी जरूरत पड़ी उद्यमियों के रूप में नई भूमिकाओं को अपनाया। जिससे उनके परिवारों की आय में वृद्धि हुई और उनके गांव प्रगति के पथ पर आगे बढ़े।

फ. महिलाओं को संवेदनशील बनाने, सामूहिक निर्णय लेने को प्रोत्साहित करने और महिलाओं के आत्मविश्वास व क्षमताओं को बढ़ाने में।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस- 8 मार्च 2022 – की थीम है ‘सतत कल के लिए, आज लैंगिक समानता जरुरी’।

इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, मैं साहसी महिलाओं और स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के पथ प्रदर्शक के रूप में केंद्रीय भूमिका निभाने वाली महिलाओं को सलाम करती हूं। मैं मानती हूं कि सशक्तिकरण और लैंगिक समानता उनके परिवारों, उनके समुदायों और देश को लाभ पहुंचाती हैं।

एसबीएम-जी में एमएचएम: मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन, एसबीएम-जी का एक महत्वपूर्ण फोकस क्षेत्र है। यद्यपि मासिक धर्म एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है, जो दुनिया की आधी आबादी को प्रजनन आयु (12 से 49) के दौरान प्रभावित करती है, लेकिन यह शर्मिंदगी और लज्जा का कारण बनी हुई है। इसके साथ ही मासिक धर्म, अशुद्धता के बारे में अंतर्मन में गहरे बैठे कलंक के साथ, लैंगिक समानता में बाधा उत्पन्न करती है।

भारत में, हर साल बड़ी संख्या में लड़कियां स्कूल छोड़ देती है। खासकर तब, जब उन्हें मासिक धर्म शुरू होता है और उपयुक्त मासिक धर्म स्वच्छता की कमी के कारण उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, परिवारों में पीढ़ियों से चली आ रही पुरातन प्रथाएं, लड़कियों को सामान्य गतिविधियों में भाग लेने से मना करती हैं। सैनिटरी नैपकिन तक पहुंच के अभाव में, लड़कियां और महिलाएं कपड़े का उपयोग करती हैं तथा इसी कपड़े का फिर से उपयोग करती हैं, जिसे अगर ठीक से साफ नहीं किया गया, तो इससे उन्हें संक्रमण हो सकता है।



महिलाओं को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, उन्हें देखते हुए अब समय आ गया है कि हम इस वास्तविकता के प्रति जागरूक हों कि मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) केवल स्वच्छता के बारे में ही नहीं है। यह महिलाओं की गरिमा को सम्मान देते हुए उन्हें सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, ताकि अपने सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें अवसर मिल सकें और लैंगिक-समानता पर आधारित दुनिया का निर्माण हो सके।
सभी किशोरियों और महिलाओं को समर्थन देने के लिए पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) द्वारा जारी एमएचएम दिशानिर्देश; राज्य सरकारों, जिला प्रशासन, इंजीनियरों और संबंधित विभागों के तकनीकी विशेषज्ञों, स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों द्वारा पूरे किए जाने वाले कार्यों का वर्णन करते हैं। एसबीएम-जी घरों और स्कूलों में शौचालयों के निर्माण की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जो मासिक धर्म स्वच्छता का अभिन्न अंग है और सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता व्यवहार को प्रोत्साहित करता है। मिशन कौशल विकास और स्कूलों तथा सार्वजनिक शौचालयों में सैनिटरी नैपकिन डिस्पेंसर और नैपकिन निपटान मशीन (इंसीनरेटर) स्थापित करने की जरूरत पर बल देता है।

इसके अलावा, एमएचएम फ्रेमवर्क, एमएचएम कार्यक्रम के आवश्यक तत्वों को रेखांकित करता है, जिसे अन्य सरकारी योजनाओं में एकीकृत किया जाना चाहिए। इसमें शामिल हैं- ज्ञान और सूचना; सुरक्षित मासिक धर्म अवशोषक; पानी, स्वच्छता तथा स्वच्छता अवसंरचना और उपयोग के बाद मासिक धर्म अवशोषक का सुरक्षित निपटान। इससे किशोरियों और महिलाओं की गरिमा को सम्मान मिलेगा और किशोरियों की मासिक धर्म के दौरान स्कूल में पढ़ाई जारी रखने का हौसला मिलेगा।

सैनिटरी कचरे का निपटान एक चुनौती है, क्योंकि एक ही बार उपयोग के लायक सैनिटरी नैपकिन में इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक जैविक रूप से अपघटित नहीं होता है और इससे स्वास्थ्य और पर्यावरण को खतरा हो सकता है। पर्यावरण की रक्षा के लिए, ठोस कचरा प्रबंधन रणनीति के हिस्से के रूप में, राज्यों द्वारा इस तरह के कचरे के संग्रह, निपटान और परिवहन को व्यवस्थित किये जाने की आवश्यकता है। हालांकि कुछ पहलें की गई हैं, लेकिन सुरक्षित और उपयुक्त अपशिष्ट प्रबंधन संबंधी समाधान, समय की मांग हैं।



एसबीएम-जी कार्यक्रम के तहत मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर जागरूकता और कौशल बढ़ाने के लिए आईईसी घटक के तहत कोष उपलब्ध है और स्वयं सहायता समूह ऐसे प्रयासों को प्रचारित-प्रसारित करने में मदद करने के लिए कार्यरत हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, राज्यों ने विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनके द्वारा मासिक धर्म को लेकर मिथकों और निषेध कार्यों संबंधी आशंकाओं को दूर किया गया है और लड़कियां तथा महिलायें इसके बारे में बात करने और संदेहों को दूर करने के लिए प्रोत्साहित हुई हैं।
एसबीएम-जी के तहत एमएचएम गतिविधियों का प्रभाव:
विभिन्न राज्यों की गतिविधियों के अनुसार, यह स्पष्ट है कि अब मासिक धर्म के विषय पर ग्रामीण क्षेत्रों में पहले की तुलना में अधिक खुलकर बात की जाती है। महिलायें और लड़कियां मासिक धर्म स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूक हुईं हैं और जिनके पास उपलब्ध है, वे सैनिटरी पैड या साफ कपड़े का उपयोग कर रहीं हैं। वे तीसरे दिन तक स्नान करने से परहेज करने, या मंदिर, रसोई में प्रवेश न करने या अचार नहीं छूने जैसी प्राचीन प्रथाओं पर सवाल उठा रहीं हैं। कुछ स्कूलों में नैपकिन निपटान मशीन (इंसीनरेटर) लगाए जा रहे हैं। लेकिन इसे देश भर के सभी घरों और स्कूलों में विस्तारित करने की आवश्यकता है। महिलाओं और लड़कियों को उनकी पूरी क्षमता का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए, और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है, जिसे प्रभावी एमएचएम सुनिश्चित कर सकता है।

अंत में उन्होंने कहा कि मैं एक बार फिर देश के सभी जिलों से अपील करती हूं कि वे महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में अपने प्रयासों में तेजी लाएं और उन्हें समान अवसर प्रदान करें, ताकि वे अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने में सक्षम हो सकें।