COVID19 Update: देश में संक्रमितों की संख्या 138,325 में से ठीक होने वालों की संख्या बढ़कर हुई 57720

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आज सुबह 8.00 बजे जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या पिछले 24 घंटों में बढ़कर ‬138,325 हो गई है। साथ ही देश में संक्रमण से अब तक 4021 लोगों की मौत हो चुकी है, देश के 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सामने आए मामलों में 77103 सक्रिय हैं। जबकि 57721 लोग ठीक/ डिस्चार्ज या माइग्रेट हुए हैं।

बिहार में कोरोना वायरस के 180 नए मामलों के साथ कुल मामले हुए 2574

बिहार में स्वास्थ विभाग के द्वारा कल शाम ट्विट कर जारी सुचना के अनुसार अपडेट में कोरोना वायरस के विभिन्न जिलों के 180 नए मामले सामने आए जिसके बाद संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 2574 हो गई। बिहार में अभी तक इस संक्रमण से 702 लोग ठीक हुए हैं और 13 लोगों की मौत हुई है वहीं सक्रिय मामलों की संख्या 1,859 है।

बिहार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, आज सर्वाधिक 38 मामले कटिहार में, 20 बांका में, 12 नवादा में और 11-11 मामले रोहतास व पूर्वी चंपारण में दर्ज किए गए। गौरतलब है कि अब तक कुल 63741 से अधिक सैंपल्स की जाँच की जा चुकी है।

तबलीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी व्यक्तियों के संपर्क में आए लोगों का पता लगा लिया गया था और जो कोरोना वायरस से संक्रमित थे, उनका उपचार किया गया: हर्षवर्धन

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि निजामुद्दीन मरकज की घटना के बाद कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में अचानक वृद्धि के कारण भारत को “बड़ा झटका” लगा।

उन्होंने कहा कि

यह घटना सभी समुदायों के लिए सबक है कि जब देश कोई सामूहिक निर्णय लेता है तो अनुशासित होकर उसका पालन करना चाहिए।

साथ ही उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी बात करने का कोई अर्थ नहीं है क्योंकि तबलीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी व्यक्तियों के संपर्क में आए लोगों का पता लगा लिया गया था और जो कोरोना वायरस से संक्रमित थे, उनका उपचार किया गया।

भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिंह राव के साथ हुई बातचीत में हर्षवर्धन ने कहा कि राज्य सरकारें, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और गृह मंत्री अमित शाह ने तबलीगी जमात की घटना के बाद निगरानी रखने में अहम भूमिका निभाई।

राव द्वारा पूछे जाने पर कि क्या इस घटना से संक्रमण की शुरुआत हुई, वर्धन ने कहा, “हमें यह मुद्दा उठाना अच्छा नहीं लगता लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि मार्च के दूसरे सप्ताह के आसपास जब विश्व में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा था और भारत में संक्रमण का पहला मामला सामने आने के डेढ़ महीने बाद भी कुछ राज्यों में बहुत कम मामले सामने आए थे, तब यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई।”

उन्होंने कहा, ”जहां पर यह घटना हुई वहां न तो सोशल डिस्टेंसिंग थी और दिल्ली में कानूनन भी उस समय यह स्थिति थी “दिल्ली में कानून लागू होने की वजह से 10-15 लोग एकत्रित नहीं हो सकते थे। उस समय डेढ़ दर्जन देशों से आए लोग वहां एकत्रित थे।”

वर्धन ने कहा कि निजामुद्दीन की घटना में सामाजिक दूरी के नियम का पालन नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि बाहर से आए लोग अपने साथ बीमारी ला रहे थे और ऐसे समय में प्रशासन की जानकारी के बिना एक हजार से अधिक लोग एकत्रित थे।

वर्धन ने कहा कि अधिकारियों को जब इसकी सूचना मिली तब इन लोगों को हटाया गया और तब तक बहुत से लोग वहां से जा भी चुके थे।

उन्होंने कहा, “उस समय देश को बड़ा झटका लगा जब संक्रमण के मामले अचानक से बढ़ गए और सरकार को लॉकडाउन तथा अन्य कड़े कदम उठाने का निर्णय लेना पड़ा।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा,

यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी और देश के सभी वर्गों और समुदायों के लिए एक सबक है कि जब देश कोई सामूहिक निर्णय लेता है तब सभी को अनुशासन पूर्वक उसका पालन करना चाहिए क्योंकि वह सबके वृहद हित में होता है।

वर्धन ने लॉकडाउन लागू किए जाने को सही समय पर लिया गया साहसिक निर्णय बताया और कहा कि लॉकडाउन ने वायरस के विरुद्ध एक “सामाजिक टीके” का काम किया है।