बिहार में दूसरे राउंड का सीरो सर्वे बुधवार से शुरू होगा। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर), नई दिल्ली के निर्देश पर राजेन्द्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरएमआरआई), पटना के माध्यम से ये सर्वे किया जाएगा।
आरएमआरआई, पटना के विशेषज्ञ बिहार के 6 जिलों अरवल, मुजफ्फरपुर, बक्सर, बेगूसराय, मधुबनी और पूर्णिया में इस सर्वे को करेंगे। इसके तहत कोरोना के प्रति लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की मौजूदगी का आकलन किया जाएगा। यह सर्वे सामुदायिक संक्रमण की स्थिति की भी जानकारी देगा। यह सर्वे बिहार सहित देश के 70 जिलों में एक साथ कराये जा रहे हैं।
2400 सैम्पल एकत्र किए जाएंगे
आरएमआरआई,पटना के निदेशक डॉ. प्रदीप दास ने बताया कि इस सर्वे में 2400 व्यक्तियों के सैम्पल एकत्र किए जाएंगे। इनमें जिले के सभी गांवों को क्लस्टर मानकर एक व्यक्ति का सैम्पल लिया जाएगा। प्रत्येक जिले में 400 व्यक्तियों के सैम्पल लिए जाएंगे। इसके बाद सभी सैम्पलों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की जांच की जाएगी। जांच रिपोर्ट की एक प्रति नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च ऑन ट्यूबरक्लोसिस (एआईआरटी) को भी सौंपी जाएगी।
बिहार में 0.7 फीसदी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित
पिछले सर्वे में बिहार में 0.7 फीसदी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई थी। डॉ. दास के अनुसार पिछले सर्वे में बिहार में 0.7 फीसदी रोग प्रतिरोधक क्षमता कोरोना के विरुद्ध विकसित पायी गयी थी। यह सर्वे 17 से 20 मई के बीच इन्हीं छह जिलों में की गई थी। इसमें 2400 व्यक्तियों में से 17 व्यक्तियों में कोरोना के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई थी। इनमें अरवल में 1 फीसदी, बेगूसराय में 0.25 फीसदी, बक्सर में 1.25 फीसदी, पूर्णिया में 0.75 फीसदी, मुजफ्फरपुर में 0 फीसदी शामिल हैं। जबकि पिछले सर्वे के अनुसार देश में 17-18 फीसदी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई थी।
पुणे की आधी आबादी कोरोना संक्रमित
पुणे में लोगों में संक्रमण चेक करने के लिए सीरो सर्वे कराया गया। इस सर्वे में पुणे के 51.5 प्रतिशत निवासियों के शरीर में एंटीबॉडी पाया गया। नतीजे चौंकाने वाले हैं क्योंकि शरीर में कोविड-19 एंटीबॉडी होने का मतलब है कि शख्स संक्रमित हो चुका है। इसका मतलब यह कि शहर के आधे से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। पुणे में महामारी और सीरम सर्विलांस कोविड-19 की स्टडी नगर निगम के तहत पांच प्रभावित इलाकों से 1644 सैंपल लिए गए थे। इन इलाकों में पॉजिटिविटी की दर 36.1 प्रतिशत से 65.4 प्रतिशत के बीच रही।
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