“रेल परियोजनाओं से कोसी क्षेत्र की बदलती तस्वीर” विषय पर वेब-गोष्ठी, सांसद दिनेश चंद्र यादव ने कहा-कोसी नदी पर महासेतु का निर्माण ऐतिहासिक

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के रीजनल आउटरीच ब्यूरो, पटना द्वारा आज “रेल परियोजनाओं से कोसी क्षेत्र की बदलती तस्वीर” विषय पर वेब-गोष्ठी का आयोजन किया गया।

वेब गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि वक्ता एवं मधेपुरा के लोकसभा सांसद दिनेश चंद्र यादव ने कहा कि कोसी नदी पर महासेतु का निर्माण ऐतिहासिक है। यह पुल कोसी क्षेत्र में विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जब तक सरायगढ़ से कुसहरा तथा निर्मली से सकरी तक के इलाकों को रेल मार्ग से नहीं जोड़ा जाता है, तब तक इस इलाके के विकास की बात अधूरी ही रह जाएगी। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि 1200 से 1300 करोड़ रुपये की लागत से कोसी पर एक और पुल का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुपौल-अररिया-गररिया के बीच जमीन अधिग्रहण का कार्य संपन्न हो चुका है। कोसी क्षेत्र में विकास के कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। इस तरह के विकास कार्यों से यहां के लोगों की समस्याओं के समाधान की भरसक कोशिश की जा रही है। उन्होंने रेल विभाग के अधिकारियों से यह भी आग्रह किया कि रेल परियोजनाओं से जुड़े जितने भी कार्य अधूरे पड़े हैं, उसे जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए।

महासेतु का निर्माण निश्चित ही कोसी क्षेत्र के लिए वरदान

वेब गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे आरओबी एवं पीआईबी, पटना के अपर महानिदेशक एस. के. मालवीय ने कहा कि आज के समय में भी रेल लाइन विकास की परिभाषा के रूप में स्वीकार्य है। आज भी लोग आम बोलचाल की भाषा में कहते हैं कि जहां रेल लाइन नहीं पहुंची है, वहां विकास नहीं पहुंचा है और वह इलाका पिछड़ा हुआ कहलाता है। कोसी क्षेत्र में महासेतु का निर्माण निश्चित ही कोसी क्षेत्र के लिए वरदान साबित होगा। उन्होंने कहा कि रेल आधुनिक भारत की अस्मिता से जुड़ा हुआ है। आजादी के समय भी रेल ने देश में एकीकरण की भूमिका निभाई थी और यह आज भी जारी है।

मिथिलांचल और कोसी को जोड़ा कोसी महासेतु

अतिथि वक्ता के रूप में मधेपुरा के मंडल रेल प्रबंधक अशोक महेश्वरी ने कहा कि मिथिलांचल और कोसी के लोगों को जोड़ने का काम कोसी महासेतु ने किया है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के विकास के लिए बहुत सारी रेल परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। सुपौल से अररिया और अररिया से गरगरिया के बीच रेल चलाई जायेगी, जिस पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोसी क्षेत्र जो पहले श्रापित और उपेक्षित माना जाता था, वह अब विकास के पथ पर प्रगति करेगा।

अतिथि वक्ता के रूप में पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) ब्रजेश कुमार ने कहा कि दिसंबर 2021 तक कर्मली-सरायगढ़-फारबिसगंज के बीच रेल कनेक्टिविटी का कार्य पूरा कर दिया जाएगा। इस रेल लाइन के बन जाने के बाद पूर्वोत्तर राज्यों और बंगाल के लिए रेल लाइन का रास्ता पूरी तरह खुल जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कनेक्टिविटी से एक ओर जहां लोगों को भरपूर लाभ मिलेगा वहीं दूसरी ओर रेलवे को भी इसका फायदा होगा।

कोसी क्षेत्र में रोजगार के अवसर होंगे पैदा

अतिथि वक्ता के रूप में सहरसा के समाजसेवी रामकुमार सिंह ने कहा कि 1934 में कोसी और मिथिला जो खंडित हुई थी वह आज कोसी महासेतु के बनने के बाद पुनः जुड़ गई है। इस महासेतु के बनने के बाद कोसी क्षेत्र में जहां रोजगार के अवसर पैदा होंगे, वही रेलवे को भी माल भाड़ा से लाभ होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सहरसा-मेहसी-कुसहर के बीच भी इसी तरह के विकास की आवश्यकता है। इससे यहां की जनता को निश्चित ही लाभ मिलेगा। सरकार को इस पर भी ध्यान देना चाहिए।

इस क्षेत्र की तस्वीर ही नहीं बल्कि तकदीर भी बदल जाएगी

अतिथि वक्ता के रूप में सुपौल के प्रभात खबर के ब्यूरो चीफ अमरेंद्र कुमार अमर ने कहा कि कोसी में कभी पानी का सैलाब होता है तो कभी बालू का ढेर हुआ करता है। ऐसे में इस क्षेत्र में ट्रेन का चलना एक ऐतिहासिक घटना है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की तस्वीर तेजी से बदल रही है। उन्होंने कहा कि अगर सुपौल-अररिया-गलगलिया रेलखंड परियोजना को शुरू कर दिया जाता है, तो इस क्षेत्र की तस्वीर ही नहीं बल्कि तकदीर भी बदल जाएगी। तब यह क्षेत्र नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों और पश्चिम के राज्यों को जोड़ने वाला क्षेत्र कहलाएगा। उन्होंने इस रेलखंड को सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बताया है।

बिहार का 86 साल से अधूरा सपना हुआ पूरा

वेब गोष्ठी का संचालन कर रहे पीआईबी के सहायक निदेशक संजय कुमार ने कहा कि बिहार का 86 साल से अधूरा सपना 18 सितम्बर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु राष्ट्र को समर्पित करके पूरा किया है। उन्होंने कहा कि नव निर्मित 1.9 किमी लंबे कोसी रेल महासेतु सिर्फ बिहार के मिथिलांचल के दो हिस्सों को ही नहीं जोडा है, बल्कि उत्तर बिहार के इस क्षेत्र से पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी भारत की दूरी भी कम हो गई है।

वेब गोष्ठी में आरओबी, पटना के निदेशक विजय कुमार, पीआईबी के निदेशक दिनेश कुमार सहित सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के विभिन्न विभागों के लोग शामिल हुए। धन्यवाद ज्ञापन आरओबी के सहायक निदेशक एन.एन.झा ने किया।