BIFC, UNICEF ने हैंडवॉशिंग को बढ़ावा देने में धर्म-गुरुओं की भागीदारी पर वेबिनार का किया आयोजन, सभी धर्मगुरुओं ने की सफाई को लेकर जागरूकता फैलाने की अपील

बिहार इंटर फेथ फोरम फॉर चिल्ड्रन (BIFC) और यूनिसेफ ने ग्लोबल हैंडवाशिंग दिवस पर हैंडवॉशिंग को बढ़ावा देने में धर्म-गुरुओं की भागीदारी पर वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार में धर्मगुरुओं और यूनिसेफ के तकनीकी विशेषज्ञयों ने धार्मिक और वैज्ञानिक तथ्यों को मिलाकर हाथों की सफाई पर चर्चा की। धर्मगुरुओं में मुख्य वक्ताओं मेंप्रोफ़ेसर सय्यद शाह शामीमउद्दीन अहमद मुनेमिआ; बी.के. ज्योती; सिस्टर ज्योतिषा कन्नमक्कल और मौलाना अनिसुर रेहमान क़ासमी शामिल थे. वहीं यूनिसेफ से तकनीकी विशेषज्ञयों में प्रभाकर सिन्हा, सुधाकर रेड्डी, मोना सिन्हा, सोनिया मेनन, निपुण गुप्ता और पंकज कुमार शामिल रहे.

हर धर्म में साबुन से हाथ धोने की मान्यता

यूनिसेफ पटना के WASH विशेषज्ञ प्रभाकर सिन्हा ने कहा हर धर्म में साबुन से हाथ धोने की मान्यता है. “अगर हम किसी भी धर्म को देखें तो पानी से पवित्रता और सफाई की मान्यता है। कभी भी मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या चर्च में जाने से पहले पानी से पवित्रता का एक अनुष्ठान होता है। इसलिये लोगो को कोरोना की इस महामारी के वक्त में धर्मगुरुओं का साबुन से हाथ धोने के लिये कहना उनके ज़हन में पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।” 15 अक्टूबर ग्लोबल हैंडवाशिंग दिन अर्थात् वैश्विक हाथ धुलाई दिवस है, यह एक ऐसा दिवस है जो बीमारियों को रोकने और जीवन को बचाने के लिए साबुन के साथ हैंडवाशिंग, जो एक सस्ता और प्रभावी तरीका है, उसके महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और समझने के लिए समर्पित किया गया है।

उचित समय पर हाथ धोने के महत्व पर बल

वेबिनार में सुधाकर Reddy , वाश अधिकारी ,यूनिसेफ , ने हाथ धोने के लिए वैज्ञानिक पक्ष और आँकड़ों को प्रस्तुत किया. उन्होंने उचित समय पर हाथ धोने के महत्व पर बल दिया जैसे – शौचालय को उपयोग करने के बाद, छींकने या खाँसने के बाद या किसी संक्रमित वस्तु के सम्पर्क में आने के बाद। उन्होंने ने कहा की, “हाथ धोने से दस्त (डायरिया) संबंधी बीमारियों में ३० % से ४८ % तक तथा गंभीर श्व्सन संक्रमण में २० % तक की कमी लायी जा सकती है। इन डायरिया रोंगों के कारण हुई मौतें में से ३४०,००० (लगभग ६० % ) बच्चों की मौत खराब स्वच्छता, खराब साफ सफाई या असुरक्षित पेयजल के कारण हुई।”

साबुन से हाथ धोने की आदत से कोरोना से बचाव

सुश्री मोना सिन्हा, विकास के लिए संचार (कम्युनिकेशन फॉर डेवलपमेंट, C4D) विशेषज्ञ ने कहा, “साबुन से हाथ धोने की आदत से कोरोना से बचाव हो सकता है। लेकिन हमें ध्यान रखना होगा कि यह आदत छूटे नहीं और हमें इसे कायम रखना होगा ताकि कई अन्य बीमारियों से बचाव होता रहे।”

बी.के. ज्योती, चिकित्सा और शिक्षा प्रभारी, प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ने समझाया कि अगर हमें लोगों में साबुन से हाथ धुलाई की आदत को कायम रखना है तो हमें उनका हृदय परिवर्तन करना होगा। उन्होंने कहा की , बी.के. ज्योती, प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ने कहा कहा की , “शरीर में जो होता है उसका प्रभाव हमारे मन पर भी पड़ता है। नहाने के बाद हमें अच्छा लगता है ; हाथ धोने से शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मन में ख़ुशी शांति का अनुभव होगा जिससे पूरे समाज का फ़ायदा होगा ।”

 सफाई का पोस्टर लगाकर लोगों को जागरूक करना होगा

प्रोफ़ेसर सय्यद शाह शामीमउद्दीन अहमद मुनेमिआ ने कहा कि “इस्लाम धर्म में नमाज़ पढ़ने से पहले हम हाथ, पाव और अंत में मुँह भी साफ करते हैं। इसे वज़ु कहा जाता है। इसके मुताबित पानी , और अभी सबसे ज़रूरी साबुन , का प्रभाव सब जगह होना चाहिए जैसे उंगलियों के बीच में, नाखूनों के बीच में| इस प्रक्रिया में पानी हाथ में लेकर उसका रंग देखा जाता है कि वह पानी साफ़ है पीने के लायक है; यह प्रक्रिया हमें तीन बार हर नमाज़ से पहले करनी होती हैं। कोरोना के इस वक्त में हमें अपनी साफ सफाई और साबुन से हाथ धुलाई पर अधिक ध्यान देना होगा।” मौलाना अनिसुर रेहमान क़ासमी ने कहा की , “हर धार्मिक स्थल पर सबकी अनुमति से हमें हाथ धुलाई और सफाई का पोस्टर लगाकर लोगों को जागरूक करना होगा।”

फ़िया फ़ाउंडेशन के पंकज कुमर ने कहा, “हमने गाँव की महिलाओं को इंटर्नेट और WhatsApp के उपयोग में ट्रेनिंग देकर , इन ४०० इंटरनेट- साथियों के साथ गांव-गांव में साबुन से हाथ धोने की जागरूकता बढ़ाई है।”

पिंकी देवी, एक इंटरनेट साथी ने बताया, ” हमें पहले बहुत दिक्क्त होती थी लोगों की सोच बदलने में। लेकिन हमने भी बार-बार बताया की हाथ की सफाई साबुन और पानी से होनी चाहिए…ये गीली मिट्टी नहीं चलेगी”।

सिस्टर ज्योतिषा कन्नमक्कल, नोट्रे डेम ने कहा की, “क्रिस्चन धर्म में कहा स्वच्छता में ईश्वर रहते हैं । उन्होंने बच्चों के द्वारा हाथ धोने के सही तरीक़ों का विडीओ दिखाया इंटनेट साथी से हम बहुत प्रेरित हुए हैं और हम अपने गांव-गांव में जागरूकता बढ़ाने के लिए इनकी तरह प्रयास करेंगे”

सुश्री निपुण गुप्ता, संचार विशेषज्ञ, यूनिसेफ ने कहा कि साबुन से हाथ धोना कायम रखना है चाहे कोरोना हो या न हो| सभी धर्म गुरु से अपील की कि हाथ की धुलाई, साबुन और साफ-सफाई की व्यवस्था अपने धार्मिक स्थलों पर ज़रूर करे और लोगों को तन मन से स्वस्थ रखने में अपनी प्रभावी भूमिका निभाएँ।

संपादक को नोट्स

  • अतिरिक्त डेटा
  • असुरक्षित जल आपूर्ति एवं अपर्याप्त स्वछता अवं साफ़ सफाई ८८% डायरिया सम्भन्धी रोग के लिए ज़िम्मेदार है।
  • पाँच वर्ष से कम उम्र की कुल मृत्यु का ९.२ % डायरिया रोंगो के कारण होता है, जिसके परिणामस्वरूप २०१३ में लगभग ६००,००० पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चें की मृत्यु हुई।
  • इन डायरिया रोंगों के कारण हुई मौतें में से ३४०,००० (लगभग ६० % ) बच्चों की मौत खराब स्वच्छता, खराब साफ सफाई या असुरक्षित पेयजल के कारण हुई।
  • पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में डायरिया कुपोषण का एक प्रमुख कारण है