देश की एकता और अखंडता में संविधान का योगदान” पर वेबिनार का आयोजन, वक्ताओं ने कहा-संविधान ने देश की विविधता को समेट कर रखा

“सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय, पटना तथा रीजनल आउटरीच ब्यूरो, पटना द्वारा आज संयुक्त रूप से था – “देश की एकता और अखंडता में संविधान का योगदान” विषय पर वेबिनार का आयोजना किया गया। पत्र सूचना कार्यालय और रीजनल आउटरीच ब्यूरो, पटना के अपर महानिदेशक एस.के.मालवीय ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान देश की जनता की आकांक्षा का प्रतीक है तथा इसी के अनुरूप बनाया गया है। इसमें देश की विरासत तथा सांस्कृतिक धरोहर को भी सम्मिलित किया गया है। देश का संविधान लचीला है तथा इसमें समय के अनुरूप बदलाव करने की शक्ति प्रदान की गई है। लचीलापन को उन्होंने संविधान की प्रमुख विशेषता बताया।

संविधान ने यात्रा तय करते हुए जन-जन तक पहुंचा

वहीं, पत्र सूचना कार्यालय, पटना के निदेशक दिनेश कुमार ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि भारत का संविधान एक विस्तृत विषय है जिस पर निरंतर चर्चा होती है। 26 नवम्बर 1949 को संविधान के उद्गम दिवस के रूप में मानते हुए संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। विगत वर्षों में संविधान ने यात्रा तय करते हुए जन-जन तक पहुंचा है।
वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहासकार डॉ भुवन झा ने कहा कि हम सभी को संविधान का महत्व स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने संविधान निर्माण की पृष्ठ्भूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत के संविधान ने प्रजातंत्र को नींव प्रदान की है। डॉ भुवन ने कहा, संविधान की जड़ें राष्ट्रीय आंदोलन में हैं तथा स्वराज की मांग के साथ भारतीयों द्वारा निर्मित संविधान की मांग भी चलती रही थी। संविधान ने देश की विविधता को समेट कर रखा है।

लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया संविधान की अद्भुत देन

मौके पर नेहरू मेमोरियल म्यूजियम तथा लाइब्रेरी के सीनियर फेलो डॉ हिमांशु रॉय ने कहा कि संविधान के निर्माण के किये एक संविधान सभा का गठन किया गया था। इस सभा में बहुत सारे अलग-अलग विचार के लोग शामिल हुए थे। सब ने मिलकर तीन वर्षोँ से भी कम समय में देश का संविधान बनाया। उन्होने कहा कि संविधान में लगभग 256 अनुच्छेद, 1935 के एक्ट से लिये गए थे। इसके साथ ही कनाडा, जर्मनी,फ्रांस, आस्ट्रेलिया, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी आदि देशों के संविधानों से भी प्रेरणा ग्रहण की गई थी। डॉ रॉय ने कहा कि विभिन्न मतों के सदस्यों को आपस मे जोड़ने में सरदार पटेल की प्रमुख भूमिका रही थी। संसदीय लोकतंत्र में चुनाव प्रक्रिया भारतीय संविधान की अद्भुत देन है जिसके आधार पर अब तक प्रायः विवादरहित चुनाव प्रक्रिया संचालित होती आयी है।

वंचित वर्गों के लिए विशेष व्यवस्था की गई

वेबिनार को संबोधित करते हुये पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अंशुल ने कहा कि संविधान ने भारत को एक स्पष्ट राजनैतिक इकाई के रूप में मूर्त रूप दिया है। संविधानिक ढांचे ने ही देश को एक राष्ट्र की अवधारणा के साथ स्थापित किया है। यह संविधान की देश को प्रमुख देन है। उन्होने कहा कि संविधान में दी गई व्यवस्था के अनुरूप ही राज्यों का पुनर्गठन हुआ तथा बाद में नए राज्य बनाये गए। संविधान में देश की विविधता की रक्षा के लिए अनेक प्रबंध किए गए हैं। सभी को समान अधिकार देते हुए वंचित वर्गों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। उनके अनुसार व्यापार-वाणिज्य तथा राज्यों की सीमाओं को नियंत्रित करने में संविधान का अर्द्ध-संघीय ढांचा सफल हुआ है।

प्रस्तावना भारत के संविधान की आत्मा

वेबिनार का संचालन करते हुये पत्र सूचना कार्यालय, पटना के सहायक निदेशक संजय कुमार ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना की चर्चा की और कहा कि प्रस्तावना भारत के संविधान की आत्मा है तथा संविधान की नीव है। वेबिनार में रीजनल आउटरीच ब्यूरो पटना और दूरदर्शन समाचार बिहार के प्रभारी निदेशक विजय कुमार ने भी अपने विचार रखें।
धन्यवाद ज्ञापन आरओबी पटना के सहायक निदेशक एन. एन. झा ने किया। वेबिनार में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की बिहार इकाई के सभी अधिकारी-कर्मचारी के साथ बड़ी संख्या में आम जनता ने भी भाग लिया।