बिहार में जहरीली शराब ने ली फिर 5 मासूमों की जान।

बिहार के मुख्यमंत्री हर मंच से बिहार के शराबबंदी कानून की तारीफ करते नजर आते हैं और तो और नीतीश सरकार बिहार में शराबबंदी कानून को प्रभावी बनाने के लिए हर तरीके के कानूनी दाव पेंच भी अपनाते है। इसके बावजूद भी सूबे में शराब माफिया में सरकार का कोई दर नजर नहीं आता है और ये शराब माफिया बिहार में बेखौफ नजर आते है।

पिछले साल 2021 में जहरीली शराब पीने से सैकड़ों लोगों की मौत हो गई। कई परिवार उजड़ गए। किसी के सिर से पिता के हाथ हट गए , किसी बहन की राखी से उसके भाई की कलाई छीन गई, कोई पत्नी अपने पति के मौत के कारण लाचार हो गई तो किसी मां की आंचल हरदम की खातिर वीरान पड़ गई।

साल बदला , महीने बदले और दिन भी बदल गया। अगर कुछ न बदला तो शराबबंदी के बाद भी बिहार में शराब की खुलेआम तस्करी। शराब बेचने वाले झोपड़ी से पक्के घर और पैदल से चार चक्का तक आ गए। अब और कितना विकास चाहेगी जनता। सुशासन बाबू की माने तो बिहार शराब मुक्त हो चुका है। फिर कैसे आए दिन बिहार के अलग अलग क्षेत्र से शराब पीने से मौत की खबरे सुनने को मिलती है। यह खबर बिहार के नालंदा जिले का है जहां पांच लोगो के मौत का जिम्मेदार और कोई नही सुशासन बाबू बल्कि जहरीली शराब है। मृतकों के परिजनों ने दावा किया है कि सभी की मौत जहरीली शराब के चलते हुई है। यह पूरा मामला नालंदा जिले के सोहसराय थाना क्षेत्र के छोटी पहाड़ी और पहाड़ तल्ली मोहल्ला का है।

पांच लोगो के मरने के बावजूद जहरीली शराब पीने से तीन लोगों की हालत भी गंभीर बनी हुई है। इन तीनों का इलाज एक निजी क्लिनिक में चल रहा है। परिजनों ने बताया कि शराब पीने के बाद सभी की तबीयत बिगड़ने लगी और फिर मौत हो गई। वहीं पुलिस प्रशासन मामले की जांच में जुटी हुई है।

क्या गजब व्यवस्था है हमारे समाज की हम जानते हैं कि शराब हमारे लिए हानिकारक है फिर भी हम इसी का चयन करते हैं। परिवार से प्यार की बातें फिर झूठी लगने लगती है। किसी सद्स्य के मौत से परिवार आखिर कब खुश होता है। इन खबरों से एक बात निकल कर जो सामने आती है वो यही कहती है कि वर्तमान समय में लोगो के लिए परिवार से ज्यादा प्यारा शराब हो गया है। अब बात करे कानून व्यवस्था की तो हमारे देश में घटना घटने के बाद जितनी सक्रियता दिखाई जाती है अगर वही सक्रियता घटना से पहले दिखाई जाती तो शायद कोई अनहोनी घटना ही न घटती। अब आप कहोगे की प्रशासन को जानकारी ही नहीं होती ऐसी घटनाओं का तो यह तर्क आपका हास्यास्पद लगता है। बिहार में अपने क्षेत्र में रोजाना कितने थानाध्यक्ष पेट्रोलिंग करते हैं। कितने थानाध्यक्ष वर्तमान में ऐसे हैं जिनको अपने थाने के हर गली हर मुहल्ले की जानकारी है। जनाब लोगो से जुड़िएगा तब ही समाज को सुधार पाइएगा। वरना थाने में बैठकर शरीर की चर्बी तो बढ़ा ही सकते हो आप। देश में ईमानदार पुलिस वालो की कमी है ऐसी कोई बात नही हर व्यक्ति ईमानदार है पर उसे मौका दो दीजिए, स्वतंत्रता तो दीजिए। कोई अपराधी पुलिस के पकड़ में आता ही है की बड़े बड़े अधिकारी और मंत्रियों के फोन आने लगते हैं। ऐसे में ईमानदारी की बलि चढ़नी स्वाभाविक है। बिहार का बच्चा बच्चा आपको अपने समाज के बारे में हर कुछ बता देगा फिर इतने ज्ञानी लोग कैसे इन बातो से अंजान रह जाते हैं। हाय रे समाज और समाज के संरक्षक।

थानाध्यक्ष सुरेश प्रसाद के बाद सदर डीएसपी डॉ. शिब्ली नोमानी ने मौके पर पहुंचकर परिजनों से जानकारी ली। स्थानीय लोगों ने आसपास के इलाकों में चुलाई शराब बनाने की बात की है। वहीं मानपुरा थाना इलाके के हरगावा गांव में भी लोगों की संदिग्ध हालात में मौत हुई है।

बता दें कि कुछ दिन पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट ने शराबबंदी कानून के चलते बढ़ते मुकदमों को लेकर कड़ी नाराजगी जताई थी। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिहार में शराब तस्करी से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था कि इन केसों ने अदालतों का दम घोंट रखा है।

पटना हाईकोर्ट के 14 से 15 जज केवल इन्हीं मामलों की सुनवाई करते हैं और इसकी वजह से किसी और मामले पर सुनवाई नहीं हो पा रही है। यही कारण है कि अदालतों में न्याय की प्रक्रिया में दिन प्रतिदिन देरी का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है।