अफगानिस्तान: तालिबान अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए लेगा चीन की मदद, तालिबान और चीन का गठजोड़ अच्छा संकेत नहीं

अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए तालिबान अब चीन की शरण में जाएगा। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए वह चीन की मदद लेगा। इटली के समाचार पत्र ला रिपब्लिका में बृहस्पतिवार को प्रकाशित साक्षात्कार में मुजाहिद ने स्पष्ट कहा है कि तालिबान अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की लड़ाई चीन की मदद से लड़ेगा।

मुजाहिद ने कहा है कि चीन हमारा अहम सहयोगी है। हमारे पास चीन के साथ मजबूत आर्थिक रिश्ते स्थापित करने का बेहतर मौका है।

आतंक का साथ देने को तैयार चीन

अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के 19 दिन बाद ही देश में हालात बिगड़ने लगे हैं। इसी स्थिति को काबू में रखने के लिए तालिबान ने चालबाज चीन की तरफ हाथ बढ़ाया है और चीन भी आंतक का साथ देने को तैयार हो गया है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की इस रणनीति में भी उसका अपना स्वार्थ छिपा होगा।

तांबे की खदानों का आधुनिकीकरण करेगा

तालिबान का कहना है कि अफगानिस्तान और चीन के बीच नया सिल्क रोड बनेगा जो हमें दुनिया के बाजार से जोड़ेगा। चीन की मदद से हम तांबे की खदानों का आधुनिकीकरण कर इस्तेमाल शुरू करेंगे। चीन दूसरे देशों तक पहुंचने के लिए पास का काम करेगा।

चीन-तालिबान गठजोड़ खतरनाक

तालिबान और चीन का गठजोड़ अच्छा संकेत नहीं है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, चीन तालिबान की मदद कर अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत समेत अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ करेगा।