मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को राजद ने दिया विलय का ऑफर, सहनी ने कहा जो निषाद समाज का करेगा भला उसके साथ होंगे खड़ा।

विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी अब एनडीए से बाहर हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वे फिर अपने पुराने पॉलिटिकल अलायंस यानी महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, इसके लिए राजद की ओर से हरी झंडी मिलेगी तभी उनकी एंट्री हो सकती है। ऐसे में लालू यादव के करीबी आरजेडी नेता भोला यादव का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि मुकेश सहनी बिना शर्त अगर अपनी बात रखेंगे तो उस पर विचार होगा। बता दें कि मुकेश सहनी ने कई मौके पर खुलकर लालू यादव की तारीफ की है। वे लालू की विचारधारा की भी कई बार सराहना भी कर चुके हैं।

मुकेश सहनी के वापस महागठबंधन में शामिल होने की संभावना व मुकेश सहनी की विचारधारा वाली बात पर भोला यादव ने कहा यह सभी चीज विचारणीय है जिस पर हमारे नेता निर्णय लेंगे। लेकिन अगर बिना शर्त मुकेश सहनी अपनी बात रखेंगे तो उस पर हमारे नेता जरूर विचार करेंगे। भोला यादव ने कहा कि कंडीशन में बात करना उचित नहीं, इसलिए बिना कंडीशन अगर आते हैं तो उस पर विचार होगा।

भोला यादव द्वारा शर्त नहीं थोपने की बात व विचारधारा एक होने की बात पर वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने कहा कि जब विचारधारा एक है तो एक होने की क्या आवश्यकता है ? जब विचार मिलता है, तो एक हैं ! मुकेश सहनी ने कहा कि हम हमेशा लालू जी को मानते रहे हैं और मानते रहेंगे। मुकेश सहनी ने कहा कि जहां तक राजनीति की बात है तो समय के हिसाब से देखा जाएगा। सत्ता में रहना हमारी जरूरत नहीं है। 2024 में तेजस्वी के साथ आने के सवाल पर मुकेश सहनी ने कहा अभी हम अपनी पार्टी के साथ हैं जब मैदान में लड़ने का समय आएगा तो देखा जाएगा।

राजद के प्रस्ताव पर वीआइपी ने राजद का धन्यवाद देते हुए कहा है कि मुकेश सहनी उसी के साथ गठबंधन या भविष्य की राजनीति के बारे में सोच सकते हैं, जो निषाद समाज के बारे में सोचे। वहीं, पटना में पार्टी के प्रवक्ता देव ज्योति ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बोचहां चुनाव नतीजों के बाद आज सबको इस बात का अंदाजा हो गया है कि हमारे नेता के साथ उनका समाज किस मजबूती के साथ खड़ा है।

राजनीति में जाति और जाति में राजनीति का मुद्दा तो कई वर्षो से उठता चला आ रहा है। अपनी पार्टी और स्वयं के विकास के लिए नेता जन समाज को तोड़ने से भी बाज नहीं आते। राजनीति एक ऐसा दलदल है जिसमे स्वार्थ को छोड़कर कब कौन डूब जाए कहना बड़ा मुश्किल है। हम जनता भी कितने समझदार है कि किसी एक के विकास के लिए हम समाज के सौहार्द को बिगाड़ कर आपस में लड़ने लगते हैं।