राज्‍यसभा में माननीयों को हंगामा करना पड़ेगा महंगा, छिन सकता है किसी विधेयक पर वोटिंग का अधिकार

राज्य सभा में आए दिन माननीयों के हंगामा के कारण कार्यवाही में बाधा पहुंचती है. अब राज्‍यसभा सदस्‍यों को सदन में हंगामा करना भारी पड़ सकता है. राज्यसभा की जनरल परपज कमेटी ने उच्च सदन से जुड़े नियमों में प्रस्तावित संशोधनों की सिफारिशों की समीक्षा कर बदलाव पर विचार किया. राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू की अध्यक्षता में बुधवार को हुई जीपीसी की बैठक में 77 नियमों में संशोधन करने और 124 नए नियम बनाने से जुड़ी सिफारिशों पर चर्चा हुई. राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक, 23 दलों के नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा लिया.

सभी दलों ने नियमों में संशोधन पर जताई सहमति

वेंकैया नायडू ने मई, 2018 में राज्यसभा के पूर्व महासचिव वीके अग्निहोत्री की अध्‍यक्षता में दो सदस्यीय समीक्षा समिति गठित की थी. इस बैठक में कानून मंत्रालय के पूर्व अतिरिक्‍त सचिव दिनेश भारद्वाज भी थे. कमेटी ने ऐसी सिफारिशें की हैं, जिनके लागू होने के बाद उच्‍च सदन में हंगामा करने वाले सदस्‍यों से किसी भी विधेयक पर वोटिंग का अधिकार छीना जा सकता है. जेपीसी ने कार्यवाही को सुचारू ढंग से चलाने के लिए राज्यसभा सचिवालय को सौंपी सिफारिशों में उच्‍च सदन की प्रक्रिया से जुड़े 303 नियमों में से 77 में संशोधन और 124 नए नियम बनाने का सुझाव दिया है. बैठक में इस पर सभी दलों ने सहमति जता दी है.

हंगामा करने पर निलंबित हो सकते हैं सांसद

ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कॉमेटी की सिफारिशों के अनुसार नए नियम लागू होने पर सांसदों के हंगामा करने पर लोकसभा की तरह राज्यसभा सदस्यों को भी सदन से निलंबित किया जा सकता है. नए नियमों में हंगामा करने वाले राज्‍यसभा सदस्‍य से किसी विधेयक पर वोटिंग का अधिकार छीनने और उसे अनुपस्थित की श्रेणी में रखा जा सकता है्. राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू ने बीते कई सत्रों के दौरान व्यवधान खत्म कर सदन को सुचारू ढंग से चलाने के लिए सांसदों से मदद की अपील की गई थी, लेकिन सीएए और एनपीआर जैसे मुद्दों पर सदन में खूब हंगामा हुआ था.

वोटिंग के अधिकार से होंगे वंचित

राज्‍यसभा की जेपीसी ने हंगामा करने वाले सदस्‍यों के विधेयक पर वोटिंग अधिकार छीनने और निलंबन की सिफारिश की है. नए नियम के लागू होने पर काफी विवाद हो सकता है. 245 सदस्‍यों वाले राज्यसभा में एक एक वोट की काफी अहमियत है और अधिकतर विधेयक पर फैसला वोटिंग के माध्यम से होती है. राज्य सभा के वेल में आकर हंगामा करने वाले सदस्‍यों का वोटिंग अधिकार छीनने की सिफारिश की है.