पटना नगर निगम अब पटना को स्वच्छ बनाने के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं की मदद से बेकार कपड़े और प्लास्टिक से तैयार करेगा थैले

आज प्लास्टिक का उपयोग काफी बढ़ गया है। जोकि हमारे लिए काफी हानिकारक है, दरअसल, बैग से लेकर चाय के कप तक, हर चीज में प्लास्टिक का प्रयोग किया जा रहा है। मालूम हो कि प्लास्टिक से होने वाले नुक्सान, इसके बढ़ते उपयोग को रोकने और लोगों को इसके दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने के लिए 3 जुलाई, 2009 से पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग फ्री-डे मनाने की शुरुआत हुई।

आज 3 जूलाई शनिवार को शाम 4 बजे अंतराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग फ्री सिटी दिवस के मौके पर पटना नगर निगम द्वारा एक अभियान प्लास्टिक फ्री सिटी के लिए शुरू किया जा रहा है। जिसके तहत पटनावासियों को प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने के लिए जागरूक किया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत 3 जूलाई शनिवार को शाम 4 बजे माननीय महापौर श्रीमति सीता साहू एवं नगर आयुक्त हिमांशू शर्मा के द्वारा स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा तैयार किए गए बैग लोगों को बांटे जाएंगे।

प्रत्येक रविवार आमजन प्राप्त कर सकते है सुविधा

इसके साथ ही पटना नगर निगम के प्रत्येक अंचल में हर रविवार को स्वयं सेवी महिलाओं द्वारा पुराने कपड़े कलेक्ट किए जाएगे। इस दौरान आम जन अपने पुराने कपड़े और बेकार प्लास्टिक नगर निगम के अंचल कार्यालय में जमा करवा सकते है। शहरवासियों को यह छूट रहेगी कि वह अपने कपड़े को या तो दान कर दें अथवा उसके वजन के मूल्य के कैरी बैग बदले में लें। नूतन राजधानी अंचल, पाटलिपुत्र अंचल, अजीमाबाद अचंल, पटना सिटी अंचल, कंकड़बाग अंचल एवं बांकीपुर अंचल में एक स्टॉल पर कपड़े एवं प्लास्टिक जमा कर सकते है। उनके द्वारा दिए गए कपड़े अथवा प्लास्टिक के सामान के मुल्य का बैग वह प्राप्त कर सकते हैं।

शहर वासियों के प्लास्टिक के सामान का मूल्य

दूध की पन्नी – 7 रूपए प्रति किलो
पानी का डब्बा – 20 रूपए प्रति किलो
प्लास्टिक का समान – 12 रूपए प्रति किलो
( कुर्सी, टेबल, घर का सामान इत्यादि)
प्लास्टिक का थैला – 7 रूपए प्रति किलो
बड़ा या मध्यम आकार का डब्बा – 25 रूपए प्रति किलो

गौरतलब है कि औसतन, प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग सिर्फ 25 मिनट के लिए किया जाता है और दुर्भाग्यवश एक प्लास्टिक को गलने में  कम से कम 1000 साल लगते हैं, साथ ही, दुनिया के महासागरों और पृथ्वी को प्रदूषित करने में सिर्फ चंद मिनट लगते हैं। अधिकांश लोग इस तथ्य से अनजान हैं कि हर मिनट 10 लाख प्लास्टिक बैग का उपयोग किया जाता है। आज अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस है। जागरूकता फैलाने के लिए ये दिवस तो घोषित कर दिया गया लेकिन आप बढ़ते प्रदुषण और आने वाली पीढ़ी के लिए लगातार बढ़ते खतरे को लेकर कितना सजग हुए हैं?

बड़े-बड़े बाजारों से लेकर सब्जी मंडी में आज भी प्लास्टिक में खुलेआम सामान बेचा जा रहा है। आए दिन समुद्र में बढ़ते प्लास्टिक प्रदुषण के कारण समुद्री जीवों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है। इंडोनेशिया एक द्वीपसमूह है जहां की जनसंख्या 260 मिलियन है। यह देश चीन के बाद सबसे ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने वाला दुनिया का दूसरा देश है। जनवरी में जरनल साइंस में प्रकाशित अध्ययन में ये बात कही गई है। यहां हर साल 3.2 मिलियन टन प्लास्टिक का कचरा उत्पन्न होता है। जिसका निपटारा नहीं किया जाता। अध्ययन के मुताबिक इसमें से 1.29 मिलियन टन कचरा समुद्र में पहुंचता है।

1950 से 1970 तक प्लास्टिक का काफी कम उत्पादन किया जाता था इसलिए प्लास्टिक प्रदुषण का नियंत्रण करना आसान था। 1990 तक दो दशकों में प्लास्टिक के उत्पादन में तीन गुना बढ़ोतरी हुई। पिछले 40 वर्षों के मुकाबले वर्ष 2000 के दौरान प्लास्टिक का उत्पादन काफी ज्यादा हो गया। फलस्वरूप आज 30 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन रोजाना होता है जो करीब पूरी आबादी के वजन के बराबर है।

प्लास्टिक के कम इस्तेमाल के लिए सरकार प्रयास कर रही है। यहां तक कि दुकानदारों से भी कहा जा रहा है कि लोगों को प्लाटिक के थौलों में सामान न दें और देशभर के स्कूलों में बच्चों को बताया जा रहा है कि इससे क्या समस्याएं हो सकती हैं। सरकार की ओर से सभी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि वह 2025 तक प्लास्टिक के 70 फीसदी कम इस्तेमाल करने संबंधी अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सके। यह बड़ा उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है जब लोग ये समझें कि प्लास्टिक हमारा दुश्मन है।