बिहार में खेतिहर जमीन के विवाद (Land Dispute) को सुलझाने की दिशा में राज्य सरकार (Bihar Government) ने कदम बढ़ाया है। IIT रूड़की से आई टीम ने भूमि सर्वेक्षण का पूरा कर लिया है और अब बहुत जल्द चकबंदी (Bihar Chakbandi Rules) के जरिये किसानों के अलग-अलग जगहों की खेती की जमीन एक जगह किया जाएगा।
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बिहार सरकार की इस पहल के बाद एक तरफ जहां किसानों को फायदा होगा वही जमीनी विवाद में भी काफी कम आयेगी।
भूमि विवाद बिहार की सबसे जटिल समस्या है लेकिन जल्द ही यह समस्या दूर हो जायेगी इस दिशा में बिहार सरकार ने पहल कर दी है. जमीनी विवाद को जड़ से खत्म करने के लिये बिहार सरकार भूमि सर्वेक्षण का काम करवा रही है और बहुत जल्द चकबंदी कर उन किसानों को एक जगह जमीन का भूखंड उपलब्ध करवा देगी जिनकी जमीन अलग-अलग जगह पर है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री राम सूरत राय के मुताबिक इस काम को IIT रूड़की की पांच सदस्य टीम से करवाया गया है. टीम ने इस काम को लगभग पूरा कर लिया है आने वाले दिनों में हम लोग चकबंदी कर किसानों को जमीन मुहैया करवा देंगे।
मंत्री रामसूरत राय यह भी बताते हैं कि इसकी पहल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा आज से सात साल पहले की गई थी अब जाकर यह अपनी परिणीति पर आ चुका है. सरकार के इस पहल के बाद ना सिर्फ भूमि विवाद में कमी आयेगी बल्कि किसान चाहे तो अपनी जमीन को किराये पर दे सकेंगे जमीन को बेच सकेंगे. स्कूल, कॉलेज अस्पताल या चाहे जो कुछ करना चाहे वो बिना किसी विवाद के कर सकेंगे. इस काम को तेजी से करने के लिये IIT रुड़की की टीम के द्वारा एक एप भी तैयार किया जा रहा है.
1956 में बना था चकबंदी कानून
रामसूरत राय के पास आज भी जमीन विवाद की समस्या से जूझ रहे दर्जनों लोग अपनी पीड़ा सुनाने आ रहे है. बिहार में चकबंदी का कानून 1956 में बनाया गया और 1958 में इसके नियम बनाये गए. नियम बनाये जाने के बाद बिहार में 1970-71 में चकबंदी पर काम शुरू हुआ. इस दौरान बिहार में 16 जिला के 180 अंचल में चकबंदी शुरू हई जिसमे 28 हजार गांव शामिल थे, लेकिन 1992 में चकबंदी को स्थगित कर दिया गया जिसके बाद कैमूर किसान संघ ने न्यायालय ने का दरबाजा खटखटाया और न्यायालय के अदेश के बाद 1996 में चकबंदी फिर शुरू की गई।
आईआईटी की टीम आएगी
इसमें शाहाबाद क्षेत्र के चार जिला जिसमें से कैमूर, सासाराम, बक्सर और भोजपुर में काम शुरू किया गया लेकिन कर्मियों के कारण फिर से स्थगित कर दिया गया. मंत्री रामसूरत राय बताते हैं कि अब बहुत जल्द IIT रुड़की के 200 तकनीकी कर्मियों की टीम बिहार आकर चकबंदी के लिए सॉफ्टवेयर बनाने पर काम शुरू कर देगी।
चकबंदी क्या है
एक किसान के पास अगर दस जगह जमीन के छोटे छोटे टुकड़े हैं तो उसको एक जगह लाकर उस किसान को चक के रुप में दे दिया जाता है. इसमें सबसे बड़ी बात जो है उसमें कॉमर्शियल और रेट देखा जाता है, साथ ही हर जमीन पर जाने के लिये सड़क पानी की व्यवस्था रहती है. मतलब आप ट्रैक्टर से किसी भी प्लॉट पर जा सकते हैं. पूरा काम इलेक्ट्रॉनिक तकनीकी तरीके से किया जा रहा है ताकि कही कुछ गलत ना हो।
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