शनिवार को बजरंगबली की उपासना करना क्यों है फलदायक?

भारत में सनातनी परंपरा में हर दिन का अलग महत्व है। सप्ताह के सातों दिन अलग अलग भगवान की पूजा का प्रचलन सदियों से रहा है।

भारतीय संस्कृति में शनिवार के दिन हिंदू धर्म के उपासक भगवान शनि देव की उपासना करते हैं। ऐसी मान्यता है की भगवान शनि का वास स्थान पीपल है इसलिए शनिवार के दिन लोग पीपल के पेड़ को जल समर्पित करते हैं और वहां दीप प्रज्ज्वलित भी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनिवार के दिन भगवान शनि कि उपासना करने से व्यक्ति के कुंडली में मौजूद शनि दोष का निवारण होता है। जिससे जीवन में आने वाले कष्टों का समाधान होता है।

लेकिन आपने अक्सर लोगो को शनिवार के दिन मारुति पुत्र बजरंगबली की पूजा करते देखा होगा।जिसके पीछे का एक कारण सनातनी परंपरा का शास्त्र हैं जिनमे यह वर्णित है कि शनिवार को हनुमान जी की पूजा अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पर इससे सारे प्रश्नों का सही सही उत्तर नही मिल पाता है। जब शनिवार भगवान शनि का दिन माना जाता है और बजरंगबली तो महादेव के अवतार थे फिर इस दिन भगवान हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व क्यों है?

इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। उस पौराणिक कथा के अनुसार, जब हनुमान जी माता सीता को ढूंढने के लिए लंका पहुंचे थे तो उनकी नजर शनिदेव पर पड़ी थी। इसके बाद हनुमान जी ने शनि देव से पूछा आप यहां कैसे? जिसपर शनिदेव ने बताया कि रावण ने अपने बल से मुझे कैद कर लिया है। यह बात सुनकर हनुमान जी ने शनिदेव को रावण के कैद से आजाद कराया। इससे शनिदेव ने प्रसन्न होकर हनुमान जी को वरदान मांगने को कहा तब हनुमान जी ने कहा कि जो भी मेरी पूजा करेगा उसे आप कभी अशुभ फल नहीं देंगे। इसलिए शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

कैसे करें हनुमान जी की पूजा?

अभी तक हमने जाना कि शनिवार के दिन बजरंगबली की पूजा का विशेष महत्व क्यों है। अब हम जानेंगे कि इस दिन कौन से मंत्रो के साथ और किस पूजन विधि से बजरंगबली का पूजा करना है फलदायक। प्राचीन धर्म ग्रंथों में बजरंगबली को प्रभु श्री राम का परम भक्त कहा गया है और ऐसी मान्यताएं हैं कि जहां भी प्रभु श्री राम का नाम लिया जाता है वहां मारुति पुत्र बजरंगबली जी की मौजूदगी रहती है।

परंतु हमारे पवित्र ग्रंथ रामायण के अनुसार बजरंगबली बाल अवस्था में बहुत शरारती थे उनके शरारत के कारण एक ऋषि ने उन्हें यह श्राप दिया था कि उन्हें उनकी शक्ति याद नहीं रहेगी परंतु अन्य देवतागणों के अनुरोध करने पर और ऋषि को यह ज्ञात होने पर कि महावीर जी कोई और नहीं खुद महादेव के अंश हैं ऋषि ने अपने श्राप का तोड़ निकाला और कहा की जब भी कोई पवनपुत्र मारुति के गुणों का बखान करेगा तो बजरंगबली को उनकी शक्तियों का ज्ञान हो जायेगा। इसलिए इस दिन हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करना अति फलदायक सिद्ध होता है।